मेरी आवाज़

मेरी आवाज़

अँधेरे से क्यों घबराती हो,
बाहर घूमने से क्यों इतना कतराती हो,
हर कोई बुरा नहीं होता,
कभी किसी पर भरोसा क्यों नहीं दिखती हो?
जब किसी ने उस लड़की से ये सवाल किया,
तो उसकी आँखों से दर्द छलक उठा,
उसने भी सवाल के बदले ही सवाल किया,
आवाज़ दूँगी तो साथ दोगे क्या?
बस इतना कहकर चली गई।
जैसे एक सवाल में ही जीवन भर की कहानी कह गई,
2 साल की बच्ची एक छुअन से डर कर भाग गई,
जाकर माँ के आँचल में रोने लग गई,
हज़ार बार पूछने पर भी,
वो माँ को कुछ समझा ना पाई,
और उसकी रोने की आवाज़ अनसुनी ही रह गई ।
बड़े होते होते वो उस बात को भूल गई,
लेकिन फिर अंधेरी रात में,
फिर उसकी चीख सुनाई दी,
आवाज़ देते देते जब थक गई,
खुद हिम्मत करके जैसे तैसे भाग गई।
घरवालों को जब बताया,
लड़की ने पुलिस रिपोर्ट करने का फैसला सुनाया।
घरवालों ने कहा कुछ गलत नहीं हुआ तो छोड़ दो,
घर की बात को घर में ही ख़त्म कर दो,
बाहर बात जाने से तुम्हारा ही चरित्र मैला होगा,
यहाँ तुम्हारी आवाज़ को कोई नहीं सुनेगा ।
माँ सीता तो कितनी पवित्र थी,
फिर भी सबने उनसे सवाल किए,
अग्नि परीक्षा के बाद भी,
उन्होंने राज सुख त्याग दिये।
सब कुछ हारने के बाद भी,
पांडवो ने क्यों यज्ञसेनी,
को चौसर के खेल में झोंक दिया,
भरी सभा में चिल्लाती हुई द्रौपदी,
का किसी पुरुष ने ना साथ दिया।
हर किसी ने उसकी आवाज़ को जब ठुकरा दिया,
एक स्त्री की लाज बचाने खुद भगवान ने रूप लिया।
आवाज दूंगी तो साथ दोगे क्या?
क्या निर्भया को न्याय मिलने से हर लड़की को न्याय मिला?
क्यों हर लड़की के मन को भय ने है घेर रखा ?
क्यों हर लड़की ने अपने पास pepper स्प्रे और छोटा knife रखा?
ऑफिस से लेट होने पर क्यू उसने अपने भाई को कॉल किया?
अपनी सुरक्षा के लिए क्यों हमने दूसरो पर विश्वास किया?
हर आवाज़ को सबने किसी बहाने से क्यों दबा दिया?
किसी भी लड़की ने चाहे भरी सभा में विद्रोह किया,
या मौन रहकर हर गलत चीज को बर्दाश्त किया,
तब उस द्रौपदी का साथ किसी कृष्ण ने ना दिया,
पर सबने दुर्योधन बनकर उसका चीर हरण जरूर किया।
क्यों इंतज़ार रहता है हम सबको एक निर्भया का,
क्यों पहले ही उसकी आवाज़ को सुनकर उसका साथ नहीं दिया,
हर छोटे छोटे गलत को बढ़ावा देते देते,
ही निर्भया का तो जन्म हुआ,
और उसकी आवाज़ को तब सुना गया,
जब उसको हवानियत के साथ मिटा दिया,
चार दिन की विद्रोह की अग्नि फिर शांत हो गई।
और आवाज दूंगी तो साथ दोगे क्या??
का सवाल हर लड़की के मन में रह गया,
अंधेरा का खौफ,
ऑफिस में देर होने का डर,
पब्लिक ट्रांसपोर्ट में ट्रैवल करने की हिचक,
हमेशा का साथी बन गया ।

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