मैंने खुद को खुद से जुदा होते देखा है
चलती ऐसी जिंदगी की रेखा है,
मैंने खुद को खुद से जुदा होते देखा है।
इतनी आसान नहीं होती जिंदगी,
ये पता चला जब घर से बाहर मैं निकली।
लोगों की बातों में मैंने खुद को फिसलते देखा है,
मैंने खुद को खुद से जुदा होते देखा है।
माना कि हार गई थी मैं,
मुसीबत में हर बार गई थी मैं,
पर इससे मैंने खुद को और मज़बूत होते देखा है,
मैंने खुद को खुद से जुदा होते देखा है।
घर बैठे मैंने आराम नहीं था फरमाया,
क्योंकि मुझमें कुछ कर दिखाने का जुनून था छाया।
सबको खुश रखने के बावजूद मैंने कइयों को दुखी होते देखा है,
मैंने खुद को खुद से जुदा होते देखा है।
सकारात्मक सोच और रब पे विश्वास हुआ मुझे जब से,
संवर गई मेरी ज़िंदगी तब से ।
मैंने किस्मत को भी बदलते देखा है,
मैंने खुद को खुद से जुदा होते देखा है।
मेरा नाम नीतिका है। मैं पटियाला, पंजाब से हुँ। मेरा जन्म 19/10/2001 को हुआ था। मेरे माता जी का नाम श्रीमती स्नेह लता और पिता जी का नाम श्री शीश पाल गोयल है। मैंने अपनी डिग्री सरकारी बिक्रम कॉलेज ऑफ कॉमर्स, पटियाला से पूरी की है(2023 में)। मेरे कुछ शौंक एवं रूचियां – कविता रचना, गायन, नृत्य, कुछ खेल जैसे बैडमिंटन, शतरंज आदि और अन्य गतिविधियां हैं।