रंगमंच

रंगमंच

रंगमंच से इस जीवन में,

लगा किरदारों का मेला है,

कुछ हँसते हुए, हँसाते हुए

कुछ रोते हुए, रुलाते हुए

जाना सबको अकेला है।। 

मिलते हैं क्षण भर के लिए,

उम्मीदों के साये में

उम्मीदें ना हों पूरी,

तो लगता वो क्षण अधूरा है।। 

ना कुछ लेकर आये थे,

और ना कुछ लेकर जायेंगे

ये सोच कर फिर हम उठते हैं

फिर चलते हैं एक नयी दिशा में, गिरते, उठते, सँभालते हुए।। 

रंगमंच से इस जीवन में,

मिलता सबको एक मौका है

हँस लो चाहे और हँसा लो

रो लो चाहे और रुला लो

जाना सबको अकेला है।। 

और जीवन की इस अनजान डगर पर

मिलकर आगे बढ़ना है

चलते हुए, चलाते हुए

जीवन को सार्थक बनाना है।। 

सपनों से भरे इस जीवन में,

मंज़िल का मुकम्मल होना है,

और ना मिली जो मनचाही मंज़िल

तो प्रयासों को किसने रोका है।। 

रंगमंच से इस जीवन में,

मिलता सबको एक मौका है

हँस लो चाहे और हँसा लो

रो लो चाहे और रुला लो

जाना सबको अकेला है।।