सादगी, a poetry by Nidhi Jain, Celebrate Life with Us at Gyaannirudra

सादगी

सादगी

वो कहते हैं कि उनको सादगी पसंद है ।
नारी की आन, बान, शान, जकड़ी वस्त्रों में भारी ।
वो कहते हैं कि उनको सादगी पसंद है ।
दिन रात का भेद है सारा,
तिल तिल कर तड़पाता द्वेष है सारा ।
वो कहते हैं कि उनको सादगी पसंद है।
जन्म से मृत्यु तक लगी धर्म निभाने,
विचलित ना होती कभी किसी बहाने ।
वो कहते हैं कि उनको सादगी पसंद है ।
आज की नारी है कहलाती,
पर युगों की भारी कड़वाहट क्यों है सहती।
वो कहते हैं कि उनको सादगी पसंद है ।
हर मंजिल को पाने का जज्बा है रखती,
फिर अंजुल भर सम्मान को क्यों है तरसती ।
वो कहते हैं कि उनको सादगी पसंद है ।
लायक है और काबिल भी,
फिर भी क्यों घायल है ।
वो कहते हैं कि उनको सादगी पसंद है ।
आओ हम इन जंजीरों को तोड़े,
हर उन अपेक्षाओं का रुख मोड़े ।
यदि वो कहते हैं कि उनको सादगी पसंद है,
तो कह दो उनसे
कि हमें तो उनकी सिर्फ खुशामदी पसंद है ॥

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