स्त्री
स्त्री मात्र शब्द नही है ईश्वर की
सब कृतियो मे है सबसे खूबसूरत कृति
किसी के घर आंगन की तुलसी है
तो किसी की बगिया का गुलाब है
स्त्री है तो संसार है स्त्री है तो संस्कार है
स्त्री मात्र मानव नही, करुणा, ममता
सहनशीलता, दया, प्रेम, गरिमा की देवी है
स्त्री है गर पावन धरा पर, सरस्वती, लक्ष्मी
तो है दुर्गा,चंडी,काली भी कहलाती है
स्त्री के रूप है अनेको, हर रिश्ते से बधी है
बेटी है, बहन भी है, पत्नी है, माँ भी कहलाए है
कोई समझे है अबला, तो कोई समझे है लाचार
स्त्री ना ही अबला है और ना ही है बेचारी
सम्बंधो के धागे बधे रहे एक डोर से तो करती है
पग पग पर खुद की खुशियो को न्यौछावर
कही होती है तिरस्कृत तो कही होती है अपमानित
कही जलती दहेज में तो कही लूट जाती हवस से
स्त्री मात्र शब्द नही है शक्ति है हर जीवन की
साधू हो चाहे सन्यासी या हो कोई ब्रहमचारी
सारे होते है नतमस्तक उसकी ममता के आगे
स्त्री मात्र शब्द नही है ईश्वर की
सब कृतियो में है सबसे खूबसूरत कृति ।।
I am a banker and writer.
Superb poetry you every signifies deep meaning of women.