कोई एक ख़्वाब!, a poetry by Simran Mishra

कोई एक ख़्वाब!

कोई एक ख़्वाब!

कोई एक किरण तो होगी
जिसने नारी के दामन को जलने से बचा लिया होगा,
जिसने जलते उस पल्लू को, चूल्हे से हटा दिया होगा,
जिसने जब देखा होगा उसके जलते पिंजरे का आलम, तो पिंजरा गिरा दिया होगा,
और जब वो टूट गई होगी, जब जीने की शक्ति उसकी सांसों से छूट गई होगी,
तो उसको एक किरण देकर मां दुर्गा बना दिया होगा।

कोई एक सुबह तो होगी
जो उस स्त्री के जीवन को एक नया वक्त दे जाएगी,
जिसकी सुइयां खोई सी हैं, काले घनघोर अंधेरे में,
जिसने उसकी सारी राहें, सारी चाहें, सारे रंगो का दम घोट दिया,
और वहशी राक्षस इस समाज ने, सड़को पर उसको छोड़ दिया,
और जब वो छूट गई होगी, उसके उठने की क्षमता घायल उस शरीर से रूठ गई होगी,
तब काट अंधेरे को आकर, सुबह ने हाथ दिया होगा।

कोई एक वजह तो होगी
जो उन सारे बच्चों में जीने का साहस भरती होगी,
जो भरी सड़क के रेलों पर, मेले के सारे ठेलों पर, एक रस्सी पर, एक ढाबे पर, स्टेशन की चलती ट्रेनों पर, खाली हाथ खड़े रहते हैं,
उनके नाज़ुक से बदनो पर, कुछ कपड़े फटे पड़े रहते हैं,
उनकी आंखों का सूखा सागर, जो हाथ को आगे करता है,
कोई एक वजह तो होगी, वो मांग पेट को भरता है।

कोई नफा ज़रूर होगा
जो इस ज़मीन से मिलता है,
जिसके पीछे हर एक देश, जिसमे जीने को सांस नहीं, रहने को 10 इंसान नहीं,
वो जानें लेकर लड़ता है,
और वसुधैव के इस कुटुम्ब का कितना उपहास तब बनता है, जब कहने को हम एक विश्व पर एक नहीं कुछ बचता है।

हां,
है एक किरण, है एक सुबह, है एक वजह, है एक नफा
जो मुझमें है, जो तुममें है, हम सबमें है
थोड़ा सा कम, थोड़ा ज़्यादा
जिसका आवाहन हम सबको ,कुछ सोच समझ के करना होगा,
नफा नही, कोई एक किरण, कोई एक सुबह, कोई एक गगन, कोई एक हवा
कोई सागर खुशियों से भर जाए, उसके प्रवाह सा बहना होगा,
जो मीठी नींद संजो दे, कोई एक ख़्वाब सा बनना होगा।।

6 thoughts on “कोई एक ख़्वाब!”

  1. नारी के ऊपर लिखी कविता काव्यात्मक रूप से बहुत ही महत्वपूर्ण होती है। यह कविता हमें नारी के विभिन्न आयामों को समझाती है, उसके साहस, संघर्ष और समर्पण को प्रकट करती है। इसके माध्यम से हम नारी के समाज में स्थान की महत्वता को अनुभव करते हैं और उसकी प्रतिबद्धता को सराहते हैं।

    इस कविता में नारी को महानता और साहस की प्रतिष्ठा से दिखाया गया है। उसकी साहसिकता और समर्पण को व्यक्त करने के माध्यम से, इस कविता ने नारी के ऊपर हमेशा से बनाए रहने वाले सामाजिक धारावाहिकता को चुनौती दी है।

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