पापा, a poetry by Anshul Kaushik, Celebrate Life with Us at Gyaannirudra

पापा

पापा

जिनके साथ से मुकम्मल में
अपनी ज़िन्दगी को मानती,
एक बेहतरीन मार्गदर्शक में
पापा आप को ही जानती…
जो बेशक कुछ भी न कहे
आँखों से बयाँ बस कर जाते है,
जो देख लूँ चेहरा उनका में
हर मुश्क़िल का हल हो जाए…
आवाज से है जिनकी घर में
एक अलग सा ही माहौल हैं,
उनसे जुडी हर चीज़ घर में
वास्तव में अनमोल है…
पिता नाम से होती शाम जब
पिता से ही होती सुबह,
जब हो जाए परेशान कभी
बस एक ही नाम लेती जुबां…
मेरे कहने से पहले ही जिसने
मुझे सब कुछ दिलाया है,
खुशनसीब हैं वो लोग
जिनके सर पर पिता का साया है…

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