Poetry writing

Baat he us jamame ki Shiksha ki

क्या बात थी उस जमाने की जब शिक्षक में भगवान दिखाई देता था, ना की इंसान।
क्या बात थी उस जमाने की जब शिक्षक की मार को भी आशीर्वाद माना जाता था, ना की सजा।
क्या बात थी उस जमाने की जब हर कोई छात्र शिक्षक बनाना चाहता था, ना की You Tuber।
क्या बात थी उस जमाने की जब कबीरजी के दोहे में एक संस्कार नजर आता, ना की कठिनाई।
क्या बात थी उस जमाने की जब जिंदगी की शिक्षा दी जाति, ना की पैसो के हिसाबो की।
क्या बात थी उस जमाने की जब शिक्षक मेहनत करता था अपने छात्र की पढ़ाई के लिए , ना की अपनी कमाई के लिए।
क्या बात थी उस जमाने की जब शिक्षक के आने के डर में आदर होता था, ना की घबराहट ।
क्या बात थी उस जमाने की जब शिक्षा भी मन से दी जाती, ना की पैसो से।

आज ढूढ़ता हु उन शिक्षक और उन छात्रों को इस जमाने में, जो खो गए है ऑनलाइन की पढ़ाई के चक्कर में
न वह शिक्षक रहा न वह छात्र, बस रह गए है teacher और student इस जमाने के।
न रहा वह आदर और संस्कार इस जमाने में, बस रह गया Instagram और Facebook के Likes।
मैं भी एक शिक्षक इस जमाने  का , लेकिन न कर पाया कोई काम अपने शिक्षक समान उस ज़माने के
आज भी सोचता हु की कब आएगा उस जमाने का ज्ञान ,जब शिक्षक और छात्र के करेंगे इस शिक्षा का आदर और सम्मान ।

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