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ये कैसा तुम्हारा प्यार है, वो अब मेरी समझ के बाहर है, a poetry by Riya Narain, Celebrate Life with Us at Gyaannirudra

ये कैसा तुम्हारा प्यार है, वो अब मेरी समझ के बाहर है..!!

ये कैसा तुम्हारा प्यार है, वो अब मेरी समझ के बाहर है..!! तुमने तीन दिन में किया प्यार का इज़हार,कहा कि हमारे साथ में ही करार है…!!कहा ये तुम्हारे साथ ज़िंदगी बिताने को तैयार है…!!ये कैसा तुम्हारा प्यार है,जो अब मेरी समझ के बाहर है…!!! मैंने किया तुम्हें डर से इनकार,क्योंकि तुम्हें आता ज़्यादा ग़ुस्सा […]

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भ्रम, a poetry by Dhrupam Das, Celebrate Life with Us at Gyaannirudra

भ्रम

भ्रम “कहते हैं नारी का सम्मान यहाँ,पर देवी-सी डॉक्टर भी हैं परेशान यहाँ।सुरक्षा के वादे तो रोज़ सुने,पर डर से घर से निकलें गिने-चुने !बाज़ार गए थे कुछ सामान लाने,दाम सुनकर लौटे खाली थैले थामे ।महंगाई ने ऐसा खेल रचाया,सब्ज़ी भी अब तो EMI पर आया!सरकार कहे “हम विकास करेंगे”,पर टैक्स के पैसे कहाँ सहेजेंगे?गाँव

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हाय! कैसी ये बीमारी, a poetry by श्वेता कुमारी, Celebrate Life with Us at Gyaannirudra

हाय! कैसी ये बीमारी

हाय! कैसी ये बीमारी ख्वाहिशों की गर्मियों में,तप रहीं साँसें तुम्हारी,हाय! कैसी ये बीमारी – २!रात दिन में खेल खेलूं,और कभी मन से भी बोलूं,भोख क्यों इतनी बढ़ा ली,जो की में हूँ तुझ पर भारीहाय! कैसी ये बीमारी – २!ख्वाहिशें मैं हूँ ववण्डर,उठती-गिरती मन के अंदर,मौन तुम दिखते तो हो पर,सोचते अपनी लाचारीहाय! कैसी ये

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वक्त, a poetry by Monika Bararia, Celebrate Life with Us at Gyaannirudra

वक्त

वक्त वक्त नूर को बेनूर कर देता हैहर जख्म को नासूर कर देता हैकौन चाहता है अपनों से दूर रहनापर वक्त सबको मजबूर कर देता है….वक्त का दरिया बह जाता हैपानी की तरह यादें रह जाती हैसुनहरे लम्हों की तरह बसआपके साथ यादें रहे जिंदगी की तरह…..वक्त का पता नहीं चलता अपनों के साथअपनों का

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श्रेष्ट कवि, a poetry by Komal Parmar, Celebrate Life with Us at Gyaannirudra

श्रेष्ट कवि

श्रेष्ट कवि समर में उतरी हूं अबअमर नहीं मृत्युंजय बन जाऊंगीश्रेष्ट कवि का दर्जा जबइतिहास में मैं पाऊंगी।वर्तमान में तपता कोल हूं अबस्मरण रखना सबभविष्य का नूर बन मैं आऊंगी।हताश रहेगा जग भी उस दिनजब कोशल अपना मैं दिखाऊंगी।खुशी के अश्रु से होऊंगी लथ पथजब चोंटी के प्रथम भाग पर चढ़ जाऊंगी,अर्थात श्रेष्ट कवि का

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चुनौती, a poetry by Pratibha Singh, Celebrate Life with Us at Gyaannirudra

चुनौती

चुनौती डर मत ,रुक मत ,हार मतमैदान छोड़ कर भाग मत ।।आज समय ने तुझे गिराया है,कल वही तुझे उठाएगा ।।पल भर में खिलौना टूटता हैपल भर में जुड़ जाता है ।।जिंदगी कभी हसाती है ,तो जिंदगी कभी रुलाती है ।।डर मत ,रुक मत ,हार मतमैदान छोड़ कर भाग मत।।आज जीवन में अंधेरा है ,तो

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मन की उड़ान, a poetry by Nidhi Jain, Celebrate Life with Us at Gyaannirudra

मन की उड़ान

मन की उड़ान मन की उड़ान मत पूछिए……कभी यह गगन में उड़ता मस्त पंछी है,कभी यह भावनाओं में बहती सुस्त ग्रंथि है ।मन की उड़ान मत पूछिए……इच्छाएं प्रतिपल नई नई आती इसमें,दूर भवन तक सैर कर आती जिसमें ।कभी कोमल तो कभी कठोर बन जाता है,कभी मनोबल को ऊपर तो कभी नीचे ले आता है

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सादगी, a poetry by Nidhi Jain, Celebrate Life with Us at Gyaannirudra

सादगी

सादगी वो कहते हैं कि उनको सादगी पसंद है ।नारी की आन, बान, शान, जकड़ी वस्त्रों में भारी ।वो कहते हैं कि उनको सादगी पसंद है ।दिन रात का भेद है सारा,तिल तिल कर तड़पाता द्वेष है सारा ।वो कहते हैं कि उनको सादगी पसंद है।जन्म से मृत्यु तक लगी धर्म निभाने,विचलित ना होती कभी

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