Hindi Poetry

लक्ष्य की जयकार कर, a poetry by Kumkum Kumari, Celebrate Life with Us at Gyaannirudra

लक्ष्य की जयकार कर

लक्ष्य की जयकार कर विशाल हिमगिरि के शिखर को,लक्ष्य जब मैंने बनायागर्व से उन्मादित होकर,मुझको उसने ललकारा ।बोला! प्रबल हूँ, प्रशस्त हूँ,अजेय, अमर हूँ।कण-कण से मेरा यह तन,बना विशालकाय हूँ |असंख्य वेदना को साध लिया,अनेकों आमोद का त्याग किया |तब जाकर पर्वतराज बना हूँ,आर्यावर्त का पहरेदार बना हूँ |गर है दम तेरी भुजाओं में,तब रखना […]

लक्ष्य की जयकार कर Read More »

ईंटों का मकान, a poetry by Priyamvada Goyal, Celebrate Life with Us at Gyannirudra

ईंटों का मकान

ईंटों का मकान जैसे हर मकान कई ईंटों से बना होता हैहम भी कईं छोटी-बड़ी, नयी-पुरानी ईंटों से बने होते हैंजैसे जैसे हम बड़े होते हैं हमारा क़द भी बढ़ता जाता हैनयी ईंटें जो जुड़ती जाती हैंयही तो है जिंदगी की कमाईअपने ख़ुद के आकार को जन्म लेते देखनाशुरू शुरू में हर ईंट का जुड़ना

ईंटों का मकान Read More »

कोई नहीं यही सही, a poetry by Bhargavi Vasaikar, Celebrate Life with Us at Gyaannirudra

कोई नहीं यही सही

कोई नहीं यही सही जो है उसी से खुश हो जाएंगेजो नहीं है उसका ग़म ना मनाएंगेकिस्मत का खेल भी समझ ही जाएंगेहम भी काबिल है कुछ ना कुछ तो करके ही दिखाएंगेक्या गिले क्या शिकवेक्या दुख और क्या सुखअब सब एक जैसे ही लगेंगेकोई नहीं यह पड़ाव भी हम हंस के सह लेंगेमाना समस्याएँ

कोई नहीं यही सही Read More »

मर्द, a poetry by Mayank Maheshwari, Celebrate Life with Us at Gyaannirudra

मर्द

मर्द क्या वो ही मर्द है जो रो नहीं सकता,बिना जिम्मेदारी के सो नहीं सकता?पुरुष प्रधान कहते थे समाज को,क्या वो ही मर्द है जो हुकुम चलाता था नारी को?आरक्षण से नारी की सुरक्षा का प्रबंध हो जाता है,क्या वो ही मर्द है जो झूठे आरोप में मारा जाता है?पीड़ा अगर स्त्री को हुई तो

मर्द Read More »

लुप्तप्राय प्रजाति की पुकार, a poetry by Nishi Singh, Celebrate Life with Us at Gyaannirudra

लुप्तप्राय प्रजाति की पुकार

लुप्तप्राय प्रजाति की पुकार हे मानव!तुम हो प्रकृति के रखवाले,फिर भेदभाव क्यूँ डाले,हमको बेघर करके तुमखुद का घर बनाते होक्यूँ तुम पेड़ों को काटहमको बहुत सताते हो ।जाने कितने लुप्त हुएआगे हम सब भी खो जायेंगेतुम्हारी आधुनिकता के खातिरहम बेमौत ही सो जायेंगे।अब तो हम पे रहम करोअपने स्वार्थी होने पे शरम करोमत भूलो हमको

लुप्तप्राय प्रजाति की पुकार Read More »

सीख, a poetry by Divya Garg, Celebrate Life with Us at Gyaannirudra

सीख

सीख मैंने आज उस हिमालय को देखा,उसकी ऊंचाइयों पर जाने का सपना देखापर मार्ग में आने वाली बाधाओं से न जाने क्यों डर गई मैं?चलते-चलते न जाने क्यों बार-बार आज गिरने लगी मैं?पर,जब उस नन्ही चींटी को ऊपर चढ़ते देखा,विश्वास से सारी बाधाओं को लड़ते देखा,मैंने उसे बार – बार गिरते और फिर ऊपर चढ़ते

सीख Read More »

अनन्त राहें

अनन्त राहें रास्ते रुकते नहीं, मुसाफिर ही रुक जाते हैं,संकरे होते हुए रास्ते पगडंडियों में बदल जाते हैं,पगडंडी के उस पार भी निकल पड़ता है एक रास्ता,कदमों की चाहत हो अगर पगडंडी के पार जाने की।रास्ते रुकते नहीं, मुसाफिर ही रुक जाते हैं,रास्तों के पार किसी को दिखता है कोई चेहरा,कोई देख लेता है बरसों

अनन्त राहें Read More »

नारी जीवन, a poetry by Chanda Arya, Celebrate Life with Us at Gyaannirudra

नारी जीवन

नारी जीवन जीवन का पथ था काँटों भरा,थे पग पग पर अंगार बिछे,वह चलती रही और चलती रही,परिभाषित करती, जीवन है चलने का नाम ।तीव्र वचनों के बाण चले,तीक्षण दृष्टि के वार हुए,वह सहती रही और सहती रही,परिभाषित करती, जीवन है स्पंदन का नाम ।रुक गई …….. वायु शिथिल पड़ जाएगी,रुक गई……….. प्रकृति मृत हो

नारी जीवन Read More »

श्रद्धा गीत, a poetry by Chanda Arya, Celebrate Life with Us at Gyaannirudra

श्रद्धा गीत भारतवीरों के लिए

श्रद्धा गीत भारतवीरों के लिए कुछ मौन रहे मन केआत्मा को प्रकाशित कर गए,कुछ मौन हुए मुखरजग को आलोकित कर गए।हर रूप, हर ढंग में वेउपस्थिति अपनी दर्ज करा गए,नवदृष्टा , नवसृष्टा बनइस धरा को वन्दे मातरम बना गए,दिखा गए पथजीवन मूल्य सिखा गएlतुम रहो चाहे मौनया मुखरित हो, प्रकट करो,किन्तु एक दिया तो अवश्य

श्रद्धा गीत भारतवीरों के लिए Read More »

ज़िन्दगी खूबसूरत है

ज़िन्दगी खूबसूरत है ज़िन्दगी खूबसूरत है पत्ते पर गिरी ओस की तरह,बस नज़र भर देखने की ज़रुरत है।ख़ुशी छुपी है मन में, सीप के अन्दर मोती की तरह,बस उसकी ठंडक महसूस करने की ज़रुरत है।कभी-कभी ज़िन्दगी झुलस जाती है अपनों की दी हुई आग से,उस आग में तप कर कुंदन बन जाने की ज़रुरत है।कौन

ज़िन्दगी खूबसूरत है Read More »

Open chat
Hello
Chat on Whatsapp
Hello,
How can i help you?