Hindi Poetry

नारी शक्ति, poetry by Manisha Chauhan

नारी शक्ति

नारी शक्ति वो सौ जख्म खाकर भी सब सहती हैवो नारी है जो ना कभी डगमगाती हैमाथे पर बिंदी, मांग में सिन्दूरलगाके वो जगमगाती है।वो नारी है जो कभी ना घबराती हैसाहस इतना देखो हर कोई देखेघबराते हैंवो नारी है जो कभी ना मात खाती हैवो जब अपने पर बन आये तो अपने देश या […]

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तीन रंग से बनता है, Poetry by Sudhir Kumar Pal

तीन रंग से बनता है

तीन रंग से बनता है तीन रंग से बनता है,और चौथे से फिर सजता है…जय घोष भारत माता का,इसके सीने में गरजता है…तू चाहे कितना लाल करे,मेरे खून से इसके आँचल को,ये रखता है रंग केसररया,जो हर पल और निखरता है…तू काला कितना दामन कर,कितना ही इसे तू तार कर,ये रखता है रंग बिलकुल चिट्टा,चारों

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कुल्हाड़ी से कलम तक by Shalini Singh

कुल्हाड़ी से कलम तक

कुल्हाड़ी से कलम तक इक रोज़ बैठी गलियारों से,देखा था उसे चौराहे पर ।हो दूर उजाले से बहुत,देखा था उसे अंधियारे पर।उसकी भुजाओं की ताकत में,मुझको मां दुर्गा दिखती थी।उसकी मेहनत की परिभाषा,साहसी, वीरांगना दिखती थी।अपने कपाल की ताकत से,वो ढोती थी बालू मिट्टी |पीड़ा को छिपा दुःख दर्द बहा,न रोती थी, न खोती थी।जो

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आख़िरी किरण by Raj Shukla

आख़िरी किरण

आख़िरी किरण बेरंग सी इस जिंदगी में, भर गयावो रंग हो तुम,दूरियां भी है बहुत यूं,उन दूरियों का संग हो तुम ।दिल भी मेरा क्या करे,इस प्यार का मलंग हो तुम,आवेश में-जिसके हम बहे,वो एक नई तरंग हो तुम ।हूं अव्यवस्थित मैं अगर तो,जीने का एक ढंग हो तुम,ना-माशुका ना-प्रेमिका हो,मेरे-देह का एक अंग हो

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जो बात बीत गयी, poetry by Harsha Singh

जो बात बीत गयी

जो बात बीत गयी जो बात बीत गयी, वो कहानी पुरानी हैनए दिन, नयी राहें बनानी हैंहौसला रख बंदेया, चाहे जंग जीवन की होचाहे मुसीबतों में, आखिर में जीत का परचम लहराना हैचेहरे पर खिलखिलाती धूप लानी हैजो बात बीत गयी, वो कहानी पुरानी हैनए दिन, नयी राहें बनानी हैंदिल दुखाने वालों को माफ़ करमन

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बढ़ा कदम, a poetry by Deepti Kapila

बढ़ा कदम

बढ़ा कदम बढ़ा कदम, बढ़ा कदम,तुझमें है दम, तुझमें है दम !तू करता आया है ,तुझे करना ही होगा,हार तू मानेगा नहीं, तुझे जीतना ही होगा..तुझे तेरी कसम, तुझे तेरी कसम,बढ़ा कदम, बढ़ा कदम,तुझमें है दम, तुझमें है दम!!वो भी इक दौर था,जब तू निराश था ,तुझे तेरा ही था वास्ता ,तू करता गया,तू बढ़ता

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