poetry writing

मां ऐसी ही होती है, a poetry by Prexa Dharmendrabhai Shah

मां ऐसी ही होती है…

मां ऐसी ही होती है… कोख में पल रहा बेटा तो बातें शान कि होती है,लेकिन मां के लिए बेटी भी बेटे के समान होती हैं,यह दुनिया तो अक्सर कहेंती हैं कि वह मां है,और हर मां बस ऐसी ही होती हैं….मेंरे में संस्कार का पहला बीज सिर्फ वे बोती है,मेरे गीले किये हुए बिस्तर […]

मां ऐसी ही होती है… Read More »

होली कहें या प्रेम के रंग, a poetry by Neelam Chhibber

होली कहें या प्रेम के रंग

होली कहें या प्रेम के रंग प्रेम के रंग में सरोबार गुलाबी रंग,शांति के गहरे सागर में डूबा हरा रंग,शरारत और नजाकत से खिलखिलाता लाल रंग,उल्लास, ख़ुशी और आनंद से भरा होली का हर एक रंग ।एक पर दूसरा, दूसरे पर तीसरा, रंग के ऊपर रंग चढ़ा,सोने पर सुहागा, भांग का वो लोटा बना ।हंसने

होली कहें या प्रेम के रंग Read More »

गठरी, a poetry by Bhagat Singh

गठरी

गठरी अपने-अपने सिर पर सब, अदृश्य बोझ ले चलतेमन में सपने और आशा, बिन खाद और पानी पलतेबिन खाद और पानी पलते, सपनों में सपना एक जगताजैसे ही खुद का बोझ बढ़े, दूजे का हल्का लगतादूजे का हल्का लगता पर, खुद का लगता है भारीइसी वहम में नजरें सबने,एक दूजे पर डारीएक दूजे पर डारी

गठरी Read More »

कोई एक ख़्वाब!, a poetry by Simran Mishra

कोई एक ख़्वाब!

कोई एक ख़्वाब! कोई एक किरण तो होगीजिसने नारी के दामन को जलने से बचा लिया होगा,जिसने जलते उस पल्लू को, चूल्हे से हटा दिया होगा,जिसने जब देखा होगा उसके जलते पिंजरे का आलम, तो पिंजरा गिरा दिया होगा,और जब वो टूट गई होगी, जब जीने की शक्ति उसकी सांसों से छूट गई होगी,तो उसको

कोई एक ख़्वाब! Read More »

दुनिया, a poetry by Minkal Narula

दुनिया

दुनिया नशा होता नहीं नशा करना पड़ता हैइस दुनिया में सबसे संभल के चलना पड़ता हैकौन किसका है ये बात कोई नहीं जानता हैएक ऊपर वाला ही है जो सबको अच्छे से पहचानता हैसीख तो हमें वक्त देता है कदर न पाकर भी सबको हक देता हैपर रुकता नहीं वो किसी की बेकद्री या कदर

दुनिया Read More »

नसीब, poetry by Minkal Narula

नसीब

नसीब जानती हूं मुश्किल हैपर सबका यही नसीब है।जो आता है एक बारउसके जाने की भी लकीर है।जो जमीन पर लाखो का प्यारा हैउससे खुदा भी उतना ही प्यार करेगाइस दुनिया में इतना ही थाअब वो खुदा के घर रहा करेगा।जानती हूं आसान नहींपर नियम चला आ रहा हैजुदाई का यह सिलसिलाबहुत मुश्किल होता जा

नसीब Read More »

कृष्ण-द्रौपदी संवाद, a poetry by Shalini Singh

कृष्ण-द्रौपदी संवाद

कृष्ण-द्रौपदी संवाद हे कृष्ण सखा बल्दाई,मेरे पालनहार कन्हाई।मैं सखी तुम्हारी कृष्णा,चाहती तुमसे कुछ कहना ।जिस सभा कलंकित में तुमने,सम्मान को मेरे बचाया था।नारी को गरिमा का कान्हा,हां मान तुम्हीं ने बढ़ाया था।तब दृढ़ विश्वास हुआ मुझको,तुम सचमुच सबके रक्षक हो।पापियों के काल हो तुम,सर्वनाशक हो, भक्षक हो ।पर प्रश्न है मेरे मन में उठा,होता है

कृष्ण-द्रौपदी संवाद Read More »

Open chat
Hello
Chat on Whatsapp
Hello,
How can i help you?