poetry writing

Eco-Truth

Eco-Truth

Do we want to wipe ourselves with mineral oil towels Instead of bathing in fresh clean water? When will we stop disrobing Mother Earth like Queen Draupadi To make her look and feel hotter? While she cries out to us and mourns for her other offsprings And burns like Joan of Arc everyday due to […]

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शिक्षक दिवस

हमारे सभी शिक्षकों को हमारा कोटि-कोटि प्रणाम;उनकी अपने शिष्य के प्रति मेहनत देखकर करते हैं हम उन्हें सलाम।।बहुत भाग्यशाली हैं हम जिनके पास है शिक्षकों का बंधन;सबका जीवन मेहका देते हैं ये, जैसे हों चंदन।।हमें ये इस तरीके से हैं पढ़ाते;कि हमारे सारे डाउटस क्लियर हैं हो जाते;हर दिन कुछ ना कुछ ये नया ही हैं सिखाते;सही और गलत में फर्क भी बहुत अच्छे से हैं समझाते;ज़िंदगी के हर मोड़ पर ये हमारा साहस हैं बढ़ाते;ज़िंदगी में अनुभव का हमें ये महत्व भी हैं बताते;हमें अपनी मंज़िल को हासिल करने का ये रास्ता हैं दिखाते;मंजिल में आने वाली कठिनाइयों का ये हल बता कर, हमारी कठिनाइयों को भी हैं मिटाते;अपनी हर ज़िम्मेंदारी ये बाखूबी हैं निभाते;अपने हर शिष्य को ये कामयाब होते देखना हैं चाहते;बहुत खुशनसीब हैं हम जो ये हमारी जिंदगी में हैं आते;हम तो अपने सभी शिक्षकों को दिल से हैं भाते;हमें ये अच्छा इंसान हैं बनाते;तभी तो ये हमारे गुरु हैं कहलाते।।गुरु का कोई भी नहीं ले सकता स्थान;इसलिए कभी भी मत करो इनका अपमान;सभी शिक्षकों का करते हैं हम सम्मान;इनका आशीर्वाद है वैसे, जैसे हो किसी प्रभु का वरदान।।जब-जब भी हमने हौंसला है हारा;हर समय ये बने हैं हमारा सहारा।।हर शिक्षक ने दिया हमें इतना प्यार;कि हर वक्त रहेंगे हम उनके शुक्रगुज़ार।।जिन्होंने हमें हर एक चीज़ अच्छे से है सिखाई;हमें हमारी मंज़िल तक पहुँचाने की सही दिशा है दिखाई;उन सभी को हमारी तरफ से शिक्षक दिवस की बहुत-बहुत बधाई।। Nitikaमेरा नाम नीतिका है। मैं पटियाला, पंजाब से हुँ। मेरा जन्म 19/10/2001 को हुआ था। मेरे माता जी का नाम श्रीमती स्नेह लता और पिता जी का नाम श्री शीश पाल गोयल है। मैंने अपनी डिग्री सरकारी बिक्रम कॉलेज ऑफ कॉमर्स, पटियाला से पूरी की है(2023 में)। मेरे कुछ शौंक एवं रूचियां – कविता

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रंगमंच

रंगमंच

रंगमंच से इस जीवन में, लगा किरदारों का मेला है, कुछ हँसते हुए, हँसाते हुए कुछ रोते हुए, रुलाते हुए जाना सबको अकेला है।।  मिलते हैं क्षण भर के लिए, उम्मीदों के साये में उम्मीदें ना हों पूरी, तो लगता वो क्षण अधूरा है।।  ना कुछ लेकर आये थे, और ना कुछ लेकर जायेंगे ये

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