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ऐ मेरे देश के नौ जवानो

ऐ मेरे देश के  नौ जवानो, क्यू भुल गए तुम इन भगवानो को सोये है घर पर तुम्हारे बूढ़े माँ-बाप, और मना रहे हो तुम जन्मदिन दोस्तों  के साथ I समय नहीं है, बात करने की तुम्हारे पास बना लिया है तुमने गैर्ल फ्रेंड और दोस्तों को ख़ास I ऐ मेरे देश के  नौ जवानो, क्यू भुल गए तुम इन भगवानो को.. भुल  गये, तुम वह  दिन और वह बात जब बाप जगा और माँ रोई थी पूरी रात I तुम्हे याद न रहा बाप का वह कंधा और माँ का हाथ, तुम बदल गए मौसम की तरह समय के  साथ I ऐ मेरे देश के  नौ जवानो, क्यू भूल गए तुम इन भगवानो को.. पत्नी के आते ही रंग बदल गए  तेरे, तुमने  कर दिया माँ-बाप को अकेले I  तेरी कड़वी बाते, उनका मन मार गये, तेरे नासुर शब्द ,उन्हें ज़िंदा गाढ़ गये I ऐ मेरे देश के  नौ जवानो, क्यू भुल  गए तुम इन भगवानो को…. याद रख, एक दिन तेरा भी समय आएगा, तेरी ही पडछाई ,यह दौर तेरे जीवन में भी लायेगा भुल  मत यह बात, यहाँ का हिसाब यही करना है I सारी दौलत यही छोड़ के,खाली हाथ जाना है I ऐ मेरे देश के  नौ जवानो, क्यू भुल  गए तुम इन भगवानो को……..   Vasudev DhakateI am a teacher. gyaannirudra.com/

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Baat he us jamame ki Shiksha ki

क्या बात थी उस जमाने की जब शिक्षक में भगवान दिखाई देता था, ना की इंसान।क्या बात थी उस जमाने की जब शिक्षक की मार को भी आशीर्वाद माना जाता था, ना की सजा।क्या बात थी उस जमाने की जब हर कोई छात्र शिक्षक बनाना चाहता था, ना की You Tuber।क्या बात थी उस जमाने की जब कबीरजी के दोहे में एक संस्कार नजर आता, ना की कठिनाई।क्या बात थी उस जमाने की जब जिंदगी की शिक्षा दी जाति, ना की पैसो के हिसाबो की।क्या बात थी उस जमाने की जब शिक्षक मेहनत करता था अपने छात्र की पढ़ाई के लिए , ना की अपनी कमाई के लिए।क्या बात थी उस जमाने की जब शिक्षक के आने के डर में आदर होता था, ना की घबराहट ।क्या बात थी उस जमाने की जब शिक्षा भी मन से दी जाती, ना की पैसो से। आज ढूढ़ता हु उन शिक्षक और उन छात्रों को इस जमाने में, जो खो गए है ऑनलाइन की पढ़ाई के चक्कर मेंन वह शिक्षक रहा न वह छात्र, बस रह गए है teacher और student इस जमाने के।न रहा वह आदर और संस्कार इस जमाने में, बस रह गया Instagram और Facebook के Likes।मैं भी एक शिक्षक इस जमाने  का , लेकिन न कर पाया कोई काम अपने शिक्षक समान उस ज़माने केआज भी सोचता हु की कब आएगा उस जमाने का ज्ञान ,जब शिक्षक और छात्र के करेंगे इस शिक्षा का आदर और सम्मान । Vasudev DhakateI am a teacher. gyaannirudra.com/

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Introvert in Depression

Topsy turvy for an extrovert Unidentifiable for an introvert Life moves on  But loneliness dwells in Tears overshedded over petite things  Thoughts budded with gloomy wings Feeling of hopelessness And of worthlessness Though surrounded by happiness Deprives into sadness Slowly comes in happiness With the perfect medications Thoughts stay stagnant With no variant Unless treated

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