poetry writing

जिंदगी हर पल कुछ नया सिखाती हैं, a poetry by Khushi Soni, Celebrate Life with Us at Gyaannirudra

जिंदगी हर पल कुछ नया सिखाती हैं।

जिंदगी हर पल कुछ नया सिखाती हैं। की जिंदगी हर पल कुछ नया सिखाती हैं|हर सुबह माँ की मुस्कान नहीं उठाएगी,तो हर रात किताब लोरी नहीं सुनाएगी,हर दिन पापा अपने हाथों से खाना नहीं खिलाएगें,तो हर समस्या का समाधान शिव सपनों में आकर नहीं बताएंगे,की जिंदगी हर पल कुछ नया सिखाती हैं|कहने को तो हर

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पहला प्यार, a poetry by Monika bararia, Celebrate Life with Us at Gyaannirudra

पहला प्यार

पहला प्यार सावन की पहली बरसात सा होता है पहला प्यारओस की बूंद की तरह सतह पर ठहरा सा होता है पहला प्यार……..वक्त रुक जाता है सब छूट जाता हैबस यादों में वक्त की तरह रुक जाता है पहला प्यार…..उमंगों की तरह बसता हैरंगों की तरह बिखर जाता है पहला प्यार……यादों में पन्ने पलटने जैसा

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मंजिल की चाह, a poetry by Kumari Janvi, Celebrate Life with Us at Gyaannirudra

मंज़िल की चाह

मंज़िल की चाह मंजिल पाने की चाह हैं,तुम आगे तो बढ़ो, सामने ही राह हैबस बढ़ते चलना, तुम रुकना मत,आगे तो कठिनाइयाँ आएँगी, तुम डरना मत।मुलाकातें तो बहुत लोगों से होगी, उनमें से कुछ अच्छे होंगे और कुछ बुरेघबराकर पीछे मत मुड़ना,बस, याद रखना तुम्हें सिर्फ अच्छे के साथ है जुड़‌ना ।बढ़ते चलो, जरूर मिलेगी

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अबला अब गाँडीव उठा, a poetry by Bhagat Singh, Celebrate Life with Us at Gyaannirudra

अबला अब गाँडीव उठा

अबला अब गाँडीव उठा कब तक पथ-पथ लथपथ नारी यूंही फेंकी जाएगीकब तक अस्मत रिस-रिस लोचन देवों से आस लगाएगीयहाँ देव मौन हर बार हुए, पर वसन तेरे ही तार हुएदेखो आ धमके दुःशासन,सोया भी देखो प्रशासनरीढ़ तोड़कर वज्र उसी की छाती में कब गाड़ोगीअबला कब गाँडीव उठा कौरव का मस्तक फाड़ोगी॥कृष्ण बनेगा कौन यहाँ

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किरण कनोज़िया साहस की अमिट गाथा, a poetry by Dr. Yakshita Jain, Celebrate Life with Us at Gyaannirudra

किरण कनोजियाः साहस की अमिट गाथा

किरण कनोजियाः साहस की अमिट गाथा(भारत की पहली ब्लेड रनर को समर्पित) किरण थी एक साधारण लड़की,सपनों से भरी, हृदय से सच्ची ।फरीदाबाद की गलियों में पली,शिक्षा में कुशल, निष्ठा में ढली ।पच्चीसवें जन्मदिन पर जो घटा,नियति ने नया अध्याय रचा।“रेलयात्रा में थी, पथ था सरल,पर विधि का विधान था निर्मम प्रबल । “किंतु —लुटेरों

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दिव्यता, a poetry by Kumar Thakur, Celebrate Life with Us at Gyaannirudra

दिव्यता

दिव्यता तुम से प्रेम करकेमैंने बहुत कुछ सिख लिया,घी, मखन, छाछ को,अलग करना सिख लिया,विष को पीना सिख लियागले में रखना सिख लिया,अमृत को बांटना सिख लियाजीवन को समझना सिख लियाप्रेम सहज चीज़ नहीं हैचाहे किसी से भी करो,बलिदान देना पड़ता हैअपनी इच्छाओं काअपनी खुशियों का,अपने सुख का,अपने अस्तित्व का,मन रूपी समंदर कामंथन करना पड़ता

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पतझड़, a poetry by Kumar Thakur, Celebrate Life with Us at Gyaannirudra

पतझड़

पतझड़ जब धरती के कैनवास परउदासी की सियाही जमने लगे,तब समझनादूर क्षितिज सेदबे पाओंपतझड़ का आगमन हैजब पंछियों की आवाज़ेंकहीं दूर वादियों सेआती हुई लगने लगें,तब समझना पतझड़ हैजब सूखे पत्तों परकदम दर क़दम चलते हुएकिसी वीरान मंज़िल की ओरजाने का अहसास होतब समझना पतझड़ है ..जब खण्डहरों की टूटी दीवारोंऔर झरोखों से झाँकतेसूनेपन को

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प्रेम, a poetry by Kumar Thakur, Celebrate Life with Us at Gyaannirudra

प्रेम

प्रेम तेरे प्रेम मेंऔर मेरे प्रेम मेंकेवल एक व्याख्याविषय का फरक था ..तेरा प्रेम संसारिक था,मेरा प्रेम अलौकिक,तेरा प्रेमसंसार की गतिविधियों के साथबढ़ता, घटता, बदलता रहा..मेरा प्रेमभूमंडलीय प्रकाश की भाँतीअपने स्थान परचिर स्थिर रहा – ना बड़ा ना घटा ..तेरे प्रेम का ज्ञानभौतिक आवरणों सेढका हुआ था,मेरा प्रेम अवर्णीय थाअविनाशी था …तेरा प्रेमअर्थों से भरा

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तुम्हें मैं नहीं चाहिए, a poetry by Urmi Rumi, Celebrate Life with Us at Gyaannirudra

तुम्हें मैं नहीं चाहिए

तुम्हें मैं नहीं चाहिए तुम्हें चाहिए एक कंधा जिस पर माथा रख सको जब चाहोतुम्हें मां का रिप्लेसमेंट, तुम्हारा ध्यान रखने वाली आया चाहिएतुम्हें अच्छी लगती है वो किचन में खटती हुईतुम्हें वक्त पर टिफिन और स्वाद चाहिएतुम्हें मैं नहीं चाहिएहां में हां मिला ले कभी तर्क न करे, बस काम कर देतुम्हारी दिनचर्या में

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